

Social Media . (SC : make a website hub)
इस सोशल साइट पर पहचान बदलकर नहीं कर सकेंगे चैटिंग, साइन-अप के लिए मोबाइल नंबर जरूरी
सैन फ्रांसिस्को : सोशल मीडिया स्वतंत्र अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। फेसबुक हो या ट्विटर जैसी तमाम साइट, सभी पर यूजर अपने अनुभव और विचार साझा करते हैं। लेकिन, इन पर फेक न्यूज की भी बाढ़ है। इसे लेकर भी चिंता व्यक्त की जाती रही है। इससे इस माध्यम की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। इस बीच करीब एक दशक बाद मार्क बोडनिक ने फेसबुक जैसी ही एक अन्य साइट शुरू करने का फैसला लिया है। मगर यह फेसबुक और उसके जैसे अन्य प्लेटफॉर्म से अलग होगी। इसका नाम होगा ‘टेलीपैथ’। यहां ऑनलाइन संवाद के लिए ढेर सारी संभावनाएं होंगी। अपनी रूचि का कंटेंट साझा किया जा सकेगा। मगर इसके साथ ही कंटेंट पोस्ट को लेकर कुछ नियम-शर्तें भी लागू की गई हैं। साइट पर गलत जानकारी और नफरत भरी भावनाओं को फैलाने की इजाजत नहीं होगी। अगर किसी ने ऐसा किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी होगी।
‘टेलीपैथ’ के लिए लोगों को अपनी असली पहचान उजागर करनी होगी। इसके अलावा साइन अप करने के लिए एक वैध मोबाइल नंबर साझा करना होगा। दयालु बने रहना इस प्लेटफॉर्म का पहला नियम है। टेलीपैथ के सह-संस्थापक बोडनिक कहते हैं, हमारा जोर दीर्घकालिक संवाद स्थापित करने पर है, जिसे लोग बेहिचक एक-दूसरे को न जानते हुए भी कर सकें।
बोडनिक ने कहा, टेलीपैथ वास्तविक लोगों के अकाउंट की एक सीमा निर्धारित करना चाहता है। उन्हें इंटरनेट के शुरुआती दौर से इसकी प्रेरणा मिली, जब फेसबुक जैसी साइट लोगों को एक-दूसरे से मिलाने, जानकारी साझा करने और मदद देने का जरिया बनी। वो भी बिना किसी स्वार्थ और धोखाधड़ी के। ऐसे तमाम लोग हैं जो इस मंच का इस्तेमाल सही रूप में कर रहे हैं। मगर कुछ ऐसे हैं जिन्होंने इसका गलत इस्तेमाल भी किया। हम सोशल मीडिया को फिर सुरक्षित बनाना चाहते हैं।
‘टेलीपैथ’ पर लोग वीडियो गेम से लेकर राजनीतिक ह्यूमर, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श कर सकते हैं। यह भी स्पष्ट है कि टेलीपैथ के संस्थापक फेसबुक और ट्विटर के विकल्प के तौर पर इसे पेश कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने इसे लेकर स्पष्ट राय नहीं रखी है। फर्म के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर रिचर्ड हेनरी ने एक ब्लॉग पोस्ट पर लिखा कि इंटरनेट का शुरुआती दौर बेहद अच्छा और सुरक्षित था।
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