Mohshin Ali
# अच्छा काम : धान, गेहूं और मैंथा की जमीन में लहलहा रही बेर
धान, गेहूं और मैंथा उगाने वाली जमीन में अब बेर की फसल लहलहा रही है। कोलकाता से मंगाई बेर की पौध और कश्मीरी सेब के पौधे की कलम बना मीठे-रसीले बेर की फसल उगाकर रामपुर जिले के मिलक क्षेत्र के बराखास गांव निवासी प्रगतिशील किसान मोहसिन अली इन दिनों चर्चा में हैं। फसलों की परंपरा तोड़कर नई पैदावार से ज्यादा कमाई कर वह दूसरे किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं।
लीक से हटकर : किसान अक्सर परंपरा के हिसाब से ही खेती करते हैं। धान के बाद गेहूं और गेहूं के बाद धान की परंपरा अधिक है। मोहसिन अली ने इसे तोड़ा है। अनाज और दलहनी फसलों को छोड़कर उन्होंने बेर की खेती की। मोहसिन अली के अऩुसार तरक्की के लिए कुछ नया करना जरूरी है। किसानों को परंपरागत फसलें बोने की बजाय बदलाव लाना चाहिए। बागवानी का शौक है, इसलिए बेर की फसल को चुना, जिससे आमदनी भी चार गुना बढ़ी है।
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मोहसिन ने यूट्यूब से जुटाई जानकारी
मोहसिन बताते हैं कि उन्होंने खेती में कुछ नया करने के लिए यूट्यूब से जानकारी जुटाई। इसके बाद कोलकाता से थाईलैंड प्रजापति के बेर की पौध मंगाई और कश्मीरी सेब के पौधे की कलम लगाकर उगाया। अब बीस बीघे में बेर की फसल लहलहा रही है। बेर की खेती की खास बात यह है कि फसल 20 साल तक चलेगी। हर साल फल तोड़ने के बाद उसे काट दिया जाएगा। इसमें नए कल्ले निकलेंगे और फसल फिर तैयार हो जाएगी। चार साल तक पहले से अधिक कल्ले निकलेंगे और फलों की संख्या भी बढ़ती जाएगी। फसल को मार्च में लगाया गया था और मार्च में ही फल तैयार हो गए। इस फसल पर बीस साल तक खर्च भी कम आएगा। इस नई विधि से मोहसिन अली ने आमदनी भी बढ़ा ली है। बेर की फसल को देखने के लिए किसान दूर-दूर से पहुंच रहे हैं।
सेब की तरह रसीला और मीठा बेर
बेर का स्वाद भी सेब की तरह रसीला और मीठा। साथ ही रंग भी सेब की तरह ही लाल। आकार में भी सामान्य बेर से बड़ा। मोहसिन का कहना है कि कोलकाता में 80 रुपये किलो तक बेर का रेट मिलता है, यहां भी करीब 50 रुपये किलो तक का रेट मिलता है। खूबी समझ आने के बाद अन्य किसान भी इस तरह की खेती करने के इच्छुक हैं।
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