IIT Kanpur
#Achhakaam : कोरोना काल में आईआईटी छात्र चला रहे 373 परिवारों का घर
नई दिल्ली। कोरोना काल में लॉकडाउन में घर का मुखिया बेरोजगार हुआ, तो सैकड़ोंं परिवारों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया था। लाकडाउन की अवधि बढ़ने से जरूरी चीजोंं की भी किल्लत होने लगी थी। समझ नहीं आ रहा था आखिर ऐसे वक्त में कहां जाएं, क्या करें? ऐसे वक्त में आइआइटी के छात्र 'देवदूत' के रूप में आए। हम तो हारने लगे थे, पर उन्होंने हमें हिम्मत बंधाई। यह कहना है आइआइटी कानपुर के छात्रों की छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करने वाले परिसर के आसपास स्थित दुकानदारों के। आज आईआईटी के छात्रों की पॉकेटमनी से एक-दो नहीं, बल्कि 373 घरों के चूल्हे जल रहे हैं।
जरूरतमंद परिवारों को प्रतिमाह 4000-4000 रुपये दे रहे
आईआईटी हॉस्टल में रह कर पढ़ाई करने वाले हजारों छात्रों की छोटी-छोटी जरूरतों को आसपास रहने वाले लोग दुकान लगाकर पूरा करते हैं। जैसे-धोबी, नाई, फोटोकॉपी, स्टेशनरी, जूस और फल की दुकान, साइकिल मैकेनिक आदि। कोविड-19 के कारण 20 मार्च से आईआईटी बंद है। हॉस्टल तक खाली करा लिए गए। नतीजतन हॉस्टल के छात्रों के फुटकर काम करने वाले 1000 से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। इनमें 373 परिवार ऐसे थे, जिनकी रोजी-रोटी का मुख्य जरिया ही छात्रों से मिलने वाले रुपए थे। ऐसे में आईआईटी में बीटेक, एमटेक और पीएचडी कर रहे छात्र मदद को आगे आए। स्टूडेंट जिमखाना की मदद से 'राहत बैंक' बनाया गया। इसमें हर छात्र पॉकेटमनी का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा देता है। इनसे आईआईटी प्रशासन जरूरतमंद परिवारों को प्रतिमाह 4000-4000 रुपये दे रहा।
छात्र लगातार कर रहे मदद
हॉस्टल के छात्र लगातार इन लोगों की मदद कर रहे हैं। शुरुआती दौर में वे अपने स्तर पर आर्थिक मदद कर रहे थे। कई लोगों ने फोन पर समस्या बताई तो छात्रों ने पैसा भेजकर मदद की। अब स्टूडेंट जिमखाना के तहत मदद की जा रही है। आईआईटी के अधिकारियों का कहना है कि कोशिश रहेगी, जब तक स्थिति सामान्य न हो जाए, तब तक इनकी मदद की जाएगी। क्योंकि संस्थान खुलने और छात्रों के कैम्पस में आने के बाद ही इन लोगों की स्थिति सामान्य होगी। आईआईटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर कहते हैं, यह एक अच्छाकाम और बेहतर प्रयास है। इसमें प्रोफेसर भी जुड़े हैं। कोशिश है कि आईआईटी से जुड़े हर परिवार को इस संकट की घड़ी में भी सुरक्षित रखा जाए।
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