#Achhakaam : डॉटर्स डे विशेष : भारत की बेटियां कोरोना का डटकर कर रहीं मुकाबला

Achhakaam.com | Sep 27,2020,08:44 PM IST
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देश की बेटियां दुनियाभर में कोरोना महामारी से डटकर मोर्चा ले रही हैं। खुुद को जोखिम में डालकर भी मरीजों का इलाज करना हो, लोगों में जागरूकता फैलानी हो या दवाओं की खोज या वैक्सीन निर्माण प्रक्रिया में सक्रिय  भागीदारी, हर कदम पर बेटियां  अपना लोहा मनवा रही हैं।आंकड़ेे बताते हैं कि स्वास्थ्य क्षेत्र में दुनिया भर मे भारतीय महिलाओं का दबदबा है। देश में करीब 20 फीसदी डॉक्टर महिलाएं हैं। इंडियन  नर्सिंग काउंसिल के अनुसार भारत में करीब 30 लाख नर्स हैैं । इसके बावजूद अभी जरूरत के लिहाज से 20 लाख नर्सों की कमी है। औसतन एक नर्स पर रोजाना 50 से 100 मरीजों की देखभाल का जिम्मा है।  सेवाभाव से ओतप्रोत  और दक्षता की वजह से भारतीय नर्सों की दुनिया भर में  मांग है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है  कि केरल की 18 लाख नर्सों में से आधे से ज्यादा नर्सें विदेशों में इलाज करने के लिए चली जाती हैं। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक में भी बड़ी संख्या मेें महिलाएं नर्स की ट्रेनिंग लेकर लोगों की सेवा में जुड़ती हैं। सुरक्षा  के क्षेत्र में  भी बेटियां किसी  से कम नहीं  हैं।  पुलिस बल में संंख्या के लिहाज से तो महिलाएं केवल 10 फीसदी ही हैं। लेकिन, अपनी जिम्मेदारी बड़ी मुस्तैदी से संभाल रही हैं। कोविड केयर अस्पतालों की सुरक्षा से लेकर, मरीजों को संभालने तक में वह बखूबी अपनी भूमिका निभा रही हैं।

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कोलकाता की चंद्रा दत्ता, ऑक्सफोर्ड विवि में एंटीवायरल टीके पर शोध कर रही टीम का प्रमुख हिस्सा हैं। वैक्सीन की गुणवत्ता पर नजर रखने की जिम्मेदारी उनकी है, जिस पर पूरी दुनिया की निगाह टिकी हुई है। चंद्रा कहती हैं, 'मेरा काम यहां बनाई जा रहीं वैक्सीन की क्वालिटी को परखना होता है। अगर वैक्सीन में कोई भी गड़बड़ी है, तो तुरंत ही उसे दूर करना होता है।' खास बात यह है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन दुनिया की उन चंद अग्रणी वैक्सीन में शामिल है, जिसका इंतजार पूरी दुनिया कर रही है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में टीका बना रही टीम की कड़ी हैं हिमांशा सिंह :  मुरैना के उद्योगपति मनोज सिंह जादौन की बेटी हिमांशा ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कोरोना की वैक्सीन पर रिसर्च कर रही टीम का प्रमुख हिस्सा हैं। उनकी टीम को प्रोफेसर सारा लीड कर रहे हैं, जो मलेरिया व एचआईवी की वैक्सीन के लिए रिसर्च कर चुके हैं। हिमांशा के मुुताबिक ब्रिटिश सरकार ने कोरोना पर रिसर्च के लिए उनकी टीम को 20 मिलियन पाउंड (करीब 18 अरब रुपए) दिए हैं। शोध में उनके योगदान पर उन्हें सीएसएआर अवार्ड 2017 से सम्मानित किया गया था।

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जनवरी की शुरुआत में जब दुनिया कोरोना जांच किट के लिए तरस रही थी, उसी समय मीनल दखावे भोसले बड़ी उम्मीद बनकर सामने आईं। पुणे की माईलैब रिसर्च एंड डेवलपमेंट की प्रमुख मीनल ने सिर्फ डेढ़ महीने में कोरोना की जांच किट विकसित कर दी, जो भारत की पहली कोरोना जांच किट मानी गई। खास बात यह कि अपने बच्चे को जन्म देने से कुछ घंटों पहले तक मीनल इस जांच किट को तैयार करने में जुटी रहीं।  डॉ. सौम्या स्वामीनाथन महामारी के  प्रति कर रहीं जागरूक : विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन संक्रमण के लिए वैक्सीन व ड्रग थैरेपी पर वैज्ञानिक अनुसंधान पर वैश्विक साझेदारी का नेतृत्व कर रही हैं। वह सूचना के प्रसार और महामारी के बारे में जागरूकता फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।  

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मैसूर की डॉक्टर उमा मधुसूदन इन दिनों न्यूयॉर्क में कोरोना पीड़ितों के इलाज में लगी हुई हैं। उनकी कोशिशों ने वहां के लोगों का दिल जीत लिया है, उन्हें वहां के लोगों ने हीरो को उपाधि दी है। इतना ही नहीं, डॉक्टर उमा के सम्मान में लोगों ने वहां कार रैली निकाली। उनके सामने से कार निकाली और हॉर्न बजाते हुए डॉक्टर को कार से ही शुक्रिया कहा। कई लोगों ने लव यू कहा, तो किसी ने उन्हें फ्लाइंग किस देते हुए अपना ख्याल रखने की बात कही। देश-विदेश में उनकी जमकर तारीफ हुई। डॉ. आयशा सुल्ताना की सेवा ने  दिलाया सम्मान : हैदराबाद की आयशा सुल्ताना दुबई के अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहीं। मरीजों की सेवा की वजह से वह काफी लोकप्रिय हो गई हैं और सोशल मीडिया पर काफी उनकी तारीफ हो रही है। बीते दिनों अल अहली स्क्रीनिंग सेंटर में अपनी शिफ्ट खत्म करने के बाद शारजाह अपने घर लौट रही थीं। दुबई-शारजाह राजमार्ग पर अल मुल्ला प्लाजा के पास पुलिस ने उनकी कार को रोककर उन्हें सलामी दी। डॉ. मोना सिंह की  सोशल मीडिया पर हो रही तारीफ : फर्राटा धावक मिल्खा सिंह की बेटी डॉ. मोना इन दिनों अमेरिका में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहीं हैं। आपातकालीन विभाग में कभी-कभी उन्हें 12 से 15 घंटे तक लगातार काम करना पड़ रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें सराहा जा  रहा है।

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रोहतक की बेटी डॉ. पूजा अमेरिका के न्यू जर्सी में संक्रमितों का इलाज करते-करते खुद संक्रमित हो गईं। करीब 14 दिन इलाज के बाद फिर अस्पताल लौटीं। इतना ही नहीं-दूसरे मरीजों के लिए प्लाज्मा भी दान किया। वे मरीजों को जागरूक भी कर रही हैं। उनकी इन कोशिशों की बदौलत अमेरिका में उन्हें बड़ा सम्मान मिला। हॉलीवुड की डॉक्यूमेंट्री 'ए पेंडेमिक: अवे द मदरलैंड' में उन्हें शामिल किया गया। डॉ अमृता गाडगे ने लॉकडाउन में बना डाला 'अजूबा' : जब पूरी दुनिया लॉकडाउन में घरों में कैद थी तब भारतीय मूल की वैज्ञानिक डॉ. अमृता गाडगे ने कमाल कर पूरी दुनिया को चौंका दिया। ससेक्स यूनिवर्सिटी में कार्यरत अमृता ने घर में ही पदार्थ की पांचवीं अवस्था बना डाली। वैज्ञानिक इसे एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। आमतौर पर पदार्थ की तीन अवस्था होती हैं, ठोस, तरल और गैसीय अवस्था। इसके अलावा चौथी अवस्था प्लाज्मा अवस्था होती है, जिसके लिए बहुत अधिक तापमान की अवस्था होती है। लेकिन, पांचवी अवस्था को बोस आइंस्टीन कंडेनसेट कहा जाता है। इस अवस्था में पदार्थ बहुत ही ठंडी स्थिति में पहुंच पाता है जब अणु एक दूसरे से मिल जाते हैं और एक समान चीज की तरह कार्य करने लगते हैं।

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केयरमॉन्गर्स इंडिया की संस्थापक महिता नागराज उन लोगों की मदद करती हैं, जो कोरोना महामारी के बीच खुद की देखभाल करने में असमर्थ हैं। सिर्फ एक मैसेजिंग ग्रुप से शुरू हुआ महिता का प्रोजेक्ट धीरे-धीरे 14 देशों में फैल गया और करीब 46,000 फेसबुक समूह बन गए। केवल भारत में ही ऐसे लोगों की देखभाल करने वाले 22,000 से अधिक स्वयंसेवक हैं। केयरमॉन्गर्स इंडिया समूह भोजन, दवाएं खरीदने और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंचने में बुजुर्ग लोगों की मदद करता है।